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बिकानेर में दुर्गा पूजा उत्सव की भव्य शुरुआत, बंगाली समाज ने दी परंपरा को नई ऊँचाई

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Name:-ASHOK KUMAR
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Instagram:-@MR_ASHOK.024



बिकानेर। शारदीय नवरात्र के पावन अवसर पर बिकानेर बंगाली संस्थान द्वारा आयोजित दुर्गा पूजा महोत्सव का शुभारंभ पूरे हर्षोल्लास और श्रद्धाभाव के साथ हो चुका है। महालया के दिन माँ दुर्गा के आवाहन के साथ प्रारंभ हुआ यह आयोजन अब पंचमी से विजयादशमी तक निरंतर धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों के साथ चल रहा है।

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यह उत्सव केवल पूजा-अर्चना तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें संस्कृति, कला और सामाजिक एकजुटता का सुंदर समागम देखने को मिलता है। सुबह से देर रात तक मंदिर और पंडाल में भक्तों की भीड़, भजनों की धुन और मंत्रोच्चार से वातावरण भक्तिमय बना हुआ है।


सदस्यों के विचार

संस्थान के पदाधिकारियों और सदस्यों ने खबर फॉर यू से बातचीत में कहा कि दुर्गा पूजा समाज को जोड़ने और हमारी समृद्ध परंपरा को जीवित रखने का माध्यम है। उन्होंने बताया कि यह पूजा केवल देवी की आराधना ही नहीं बल्कि यह भी सिखाती है कि बुराई पर अच्छाई की हमेशा विजय होती है।

एक सदस्य ने कहा, “हमारे लिए दुर्गा पूजा सिर्फ त्योहार नहीं है, यह हमारी पहचान और हमारी जड़ों से जुड़ने का अवसर है। इसमें हमारी संस्कृति, हमारी आस्था और हमारी सामूहिक शक्ति झलकती है।”

दूसरे सदस्य ने बताया कि इस बार विशेष ध्यान युवाओं और बच्चों को जोड़ने पर दिया जा रहा है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इस परंपरा को उसी श्रद्धा और गर्व के साथ निभा सकें।


भक्ति और संस्कृति का संगम

दुर्गा पूजा के दौरान न केवल पूजा-पाठ और अनुष्ठान होते हैं बल्कि सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। शाम को भजन संध्या, नृत्य और संगीत से वातावरण और भी जीवंत हो उठता है। महिलाएँ पारंपरिक वेशभूषा में शामिल होकर सिंदूर उत्सव और अन्य रस्मों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं।

युवाओं के लिए सांस्कृतिक प्रतियोगिताएँ, नृत्य और गीत प्रस्तुतियाँ आयोजित की जा रही हैं। बच्चों को विशेष रूप से इस आयोजन से जोड़ने के लिए रंगोली और नाट्य मंचन भी रखा गया है।


पूजा और अनुष्ठानों की विस्तृत समय-सारिणी


(संस्थान द्वारा जारी कार्यक्रम के अनुसार)

27 सितम्बर (शनिवार) – पंचमी

संध्या 7:00 बजे – पंचमी पूजा आरंभ।


28 सितम्बर (रविवार) – महा षष्ठी

सुबह 6:00 बजे – कल्पारम्भ

शाम 7:30 बजे – आमंत्रण एवं अधिवास

रात 9:00 बजे – आरती


29 सितम्बर (सोमवार) – महा सप्तमी

सुबह 7:00 बजे – महा सप्तमी पूजा

दोपहर 12:00 बजे – पुष्पांजलि

दोपहर 12:30 बजे – प्रसाद वितरण

शाम 7:30 बजे – संध्या आरती


30 सितम्बर (मंगलवार) – महा अष्टमी

सुबह 7:00 बजे – महा अष्टमी पूजा

सुबह 10:00 बजे – व्यक्ति पूजा

सुबह 10:30 बजे – पुष्पांजलि

दोपहर 1:21 बजे – संधि पूजा

दोपहर 1:45 बजे – बलिदान

दोपहर 2:09 बजे – संधिपूजा समाप्ति

शाम 7:30 बजे – संध्या आरती


1 अक्टूबर (बुधवार) – महा नवमी

सुबह 7:00 बजे – महा नवमी पूजा

सुबह 10:00 बजे – पुष्पांजलि

सुबह 11:30 बजे – शरत्रुबली

दोपहर 12:00 बजे – होम

शाम 7:30 बजे – संध्या आरती


2 अक्टूबर (गुरुवार) – विजयादशमी

सुबह 8:00 बजे – दशमी पूजा

सुबह 11:00 बजे – दर्पण विसर्जन

दोपहर 12:00 बजे – सिंदूर उत्सव

दोपहर 3:00 बजे – प्रतिमा विसर्जन

रात 8:00 बजे – शांति जल


आयोजन की विशेषताएँ

पूरे आयोजन स्थल पर सुरक्षा और व्यवस्था के पुख़्ता इंतज़ाम किए गए हैं। श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद वितरण, भंडारा और रात्रि में भक्ति संगीत की विशेष प्रस्तुतियाँ भी रहेंगी।

यह दुर्गा पूजा महोत्सव न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि सामाजिक सौहार्द, सांस्कृतिक विविधता और भारतीय परंपराओं की गहराई को भी प्रदर्शित करता है।

खबर फॉर यू इस पूरे आयोजन की हर झलक को अपनी नज़रों से दस्तावेज़ कर रहा है और पाठकों तक पहुँचा रहा है, ताकि आस्था और संस्कृति की यह विरासत हर किसी के जीवन में अपनी छाप छोड़ सके।

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